राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) का उद्देश्य किसानों के प्रयासों को सशक्त बनाना, जोखिम को कम करना और कृषि-व्यवसाय उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। इस योजना का लक्ष्य खेती को एक लाभकारी आर्थिक गतिविधि में बदलना है।
बुनियादी विशेषताएं
1. सार्वजनिक निवेश में वृद्धि: कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करना।
2. लचीलापन और स्वायत्तता: कृषि योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन में राज्यों को अधिक स्वतंत्रता देना।
3. स्थानीय आवश्यकताओं का ध्यान: कृषि योजनाओं में स्थानीय फसलों और प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देना।
4. उपज अंतराल को कम करना: महत्वपूर्ण फसलों में उपज के अंतराल को समाप्त करने की दिशा में केंद्रित हस्तक्षेप करना।
5. किसानों का लाभ: किसानों को अधिकतम लाभ प्रदान करना और उत्पादकता में समग्र सुधार लाना।
फंडिंग पैटर्न
- पूर्वोत्तर राज्य: 90% केंद्र से, 10% राज्य से।
- संघ राज्य क्षेत्र (UT): 100% केंद्र से।
- अन्य राज्य: 60% केंद्र से, 40% राज्य से।
परियोजना अनुमोदन प्रक्रिया
1. राज्य स्तरीय परियोजना स्क्रीनिंग समिति (LPSC): प्रत्येक राज्य में इस समिति का गठन किया जाएगा, जिसका अध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त या मुख्य सचिव द्वारा नामित अधिकारी होगा।
2. राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति (एसएलएससी): एसएलपीएससी द्वारा अनुशंसित परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार इस समिति को है, जिसका अध्यक्ष राज्य का मुख्य सचिव होता है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (DPR)
आरकेवीवाई योजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करना आवश्यक है। इसमें निम्नलिखित विवरण शामिल होंगे:
1. संदर्भ/पृष्ठभूमि: परियोजना का सामान्य विवरण।
2. समस्याएँ: स्थानीय/क्षेत्रीय/राष्ट्रीय स्तर पर संबोधित की जाने वाली समस्याओं का वर्णन।
3. उद्देश्य और लक्ष्य: प्रस्तावित विकास उद्देश्यों की सूची।
4. रणनीति: विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियों का विश्लेषण।
5. लक्षित लाभार्थी: लक्षित लाभार्थियों की पहचान और हितधारकों का विश्लेषण।
6. प्रबंधन: परियोजना प्रबंधन के लिए विभिन्न एजेंसियों की जिम्मेदारियां।
7. वित्त: लागत का अनुमान, बजट और वित्तपोषण के साधन।
8. समय सीमा: प्रारंभ तिथि और कार्य की समयसीमा।
9. लागत लाभ विश्लेषण: वित्तीय और आर्थिक लागत-लाभ का विश्लेषण।
10. जोखिम विश्लेषण: जोखिमों की पहचान और उन्हें कम करने के उपाय।
11. परिणाम: सफलता के मानदंड और मापने योग्य शब्दों में परिणाम।
12. मूल्यांकन: परियोजना के मूल्यांकन के लिए व्यवस्था।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के फ़ायदे
1. कृषि-बुनियादी ढांचे का निर्माण: किसानों की पहुंच को बढ़ाना।
2. स्वायत्तता और लचीलापन: स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाना।
3. उत्पादन मॉडल को बढ़ावा: किसानों की आय में वृद्धि।
4. जोखिम कम करना: एकीकृत खेती और अन्य गतिविधियों के माध्यम से।
5. युवाओं को सशक्त बनाना: कौशल विकास और नवाचार के माध्यम से।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए योग्यता
आरकेवीवाई योजना के तहत सहायता के लिए पात्रता राज्य योजना बजट पर निर्भर करती है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कृषि का आधारभूत हिस्सा राज्य योजना व्यय में बनाए रखा जाए।
आवेदन प्रक्रिया
आरकेवीवाई-रफ़्तार के तहत आवेदन करने के लिए, प्रस्ताव सीधे राज्यों या राष्ट्रीय स्तर पर SFAC (स्टेट फंडिंग एग्रीकल्चर कॉर्पोरेशन) को प्रस्तुत किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में, NLA (नेशनल लेवल एग्ज़ामिनर) या राज्य सरकार परियोजना प्रस्ताव की जांच करेंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह राज्य की प्राथमिकताओं, उद्देश्यों और आरकेवीवाई-रफ़्तार के सामान्य ढांचे के अनुकूल है।
यदि प्रस्ताव उपयुक्त पाया जाता है, तो इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति (SLSC) को विचारार्थ भेजा जाएगा। SLSC द्वारा मंजूरी मिलने के बाद, राज्य सरकार और परियोजना प्रमोटर के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसके बाद परियोजना को लागू किया जाएगा।
Official Website: rkvy.da.gov.in
निष्कर्ष
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) किसानों के लिए एक लाभकारी और स्थायी कृषि क्षेत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह योजना कृषि विकास को सशक्त बनाने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल प्रदान करती है।